डिजिटल अरेस्ट कर 45 लाख की चपत लगाने वाला साइबर ठग लखनऊ से दबोचा
- ट्राई डिपार्टमेंट और मुंबई पुलिस क्राइम ब्रांच का अधिकारी बन व्हाट्सएप पर वीडियो कॉल पर 36 घण्टे तक रखा था डिजिटल अरेस्ट
- फर्जी फर्म का करेन्ट अकाउंट खोलकर ठगी गई रकम करते थे ट्रांसफर
रुद्रपुर लोकपथ संदेश ब्यूरो
ट्राई डिपार्टमेंट और मुंबई पुलिस क्राइम ब्रांच का कथित अधिकारी बन व्हाट्सएप पर वीडियो कॉल कर 36 घण्टे तक डिजिटल अरेस्ट रखकर 45 लाख की धोखाधड़ी करने के आरोपी को एसटीएफ ने लखनऊ से दबोच लिया। फर्जी फर्मों के नाम पर बैंकों में खाते खोलकर गिरोह ठगी गई रकम को डालते थे। बाद में नेट बैंकिंग के जरिए रकम निकाल लेते थे। गिरोह डिजिटल अरेस्ट और साइबर ठगी की वारदातों से कई लोगों को करोड़ों की चपत लगा चुका है।
वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक एसटीएफ नवनीत सिंह ने बताया कि काशीपुर निवासी एक पीड़ित ने जुलाई 2024 में एक अभियोग पंजीकृत कराया था। पीड़ित ने बताया था कि 9 जुलाई को उसके मोबाइल नम्बर पर अज्ञात मोबाइल नंबर से नार्मल और व्हाटसअप कॉल आई। कॉलर ने खुद को ट्राई डिपार्टमेन्ट का अधिकारी बताया और मुंबई क्राइम ब्रांच पुलिस का हवाला देते हुए ने पीड़ित के आधार नम्बर और रजिस्टर्ड मोबाइल नम्बर पर 17 केस पंजीकृत होने की सूचना दी। साथ ही कहा कि उसका सिम बन्द किया जा रहा है। कॉलर ने यह सूचना मुम्बई पुलिस क्राइम ब्रांच तिलकनगर के पुलिस अधिकारी हेमराज कोहली की ओर से दी जाने की बात कही। साथ ही कहा गया कि उनसे बात कराई जा रही है। पीड़ित से उनको अपना स्पष्टीकरण देकर क्लियरेंन्स लेने का झांसा दिया। तभी ऑटो रिकार्डिंग कॉल ट्रांन्सफर होने की आवाज आयी व वीडियो कॉल के माध्यम से पीड़ित की वार्ता शुरू हो गयी। इसमें एक व्यक्ति पुलिस अधिकारी की वर्दी पहने हुए नजर आ रहा था तथा पुलिस अधिकारी के ऑफिस की तरह बैकग्राउण्ड दिखाई दे रहा था। कथित तौर पर प्रमाण के रूप में व्हाट्सएप पर अपनी कथित पुलिस आईडी भी भेजी गयी लेकिन इसमें शक्ल नहीं दिखाई दे रही थी। इसके बाद पीड़ित के नाम से एक एफआईआर की कॉपी भेजकर बताया कि उसका नम्बर व आधार कार्ड कैनरा बैंक मुबई में 20 करोड़ के हवाला घोटाले में संलिप्त पाये गये हैं। पीड़ित के नाम से एक एटीएम कार्ड व कैनरा बैंक का स्टेटमेंट व्हाट्सएप पर भेजा गया। साथ ही कहा गया कि अब वह उनके अभियुक्त हैं और जब तक उनकी जांच पूरी नहीं होती कॉल नहीं रखेंगे। उनसे पूछताछ होगी तब वह कस्टडी में रहेंगे। वह अकेले ही कमरे में रहे और उनके निर्देशों का पालन करें। बिना परमिशन के कोई कार्य कार्य नहीं कर सकते। कही नहीं जाएंगे। सहयोग न करने पर तुरन्त अरेस्ट कर लिया जायेगा।
इससे पीड़ित घबरा गया व उनकी बातों का उत्तर देने के लिए अकेले कमरे में चला गया। उनके कहे अनुसार कार्य करने लगा। उन्होंने कुछ देर बाद पीड़ित के बैंक अकाउंट की डिटेल पूछनी शुरू कर दी। खाते में जमा धनराशि की जानकारी ली व कहा कि आपके खाते की धनराशि रिफाईन होगी। जांच में निर्दोष पाए गए तो रकम वापस कर दी जाएगी। कथित तौर पर सुप्रीम कोर्ट रुलिंग व अन्य कागजात दिखाये गये। डरकर व इस मामले से बचने किए पीड़ित ने उनके कहे अनुसार अपने बैंक खाते की धनराशि रिफाईनरी के उनके कहे अनुसार, बैंक खाते में आरटीजीएस से 10 जुलाई को 45,40,000 (पैतालीस लाख चालीस हजार ) ट्रान्सफर कर दिए। इसके बाद पीड़ित को अहसास हुआ कि उसके साथ बड़ी धोखाधड़ी हुयी है।
साइबर क्राइम पुलिस ने घटना में प्रयुक्त बैंक खातों/मोबाइल नम्बरों आदि की जानकारी के लिए सम्बन्धित बैंकों, सर्विस प्रदाता कम्पनी तथा मेटा एवं गूगल आदि से पत्राचार कर डेटा प्राप्त किया। प्राप्त डेटा का गहनता से विश्लेषण करते हुए तकनीकी और डिजिटल साक्ष्य एकत्र कर इस घटना में शामिल मुख्य अभियुक्त को चिन्ह्ति किया और अभियोग में संलिप्त मुख्य अभियुक्त पंकज कुमार (उम्र-29 वर्ष) पुत्र राजेन्द्र प्रसाद निवासी चमनपुरा पोओ रामपुर अवस्थी थाना बरियारपुर जिला देवरिया उत्तर प्रदेश को लखनऊ, उत्तर प्रदेश से गिरफ्तार किया गया।