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भारत के सबसे बुजुर्ग फाइटर पायलट दलीप सिंह मजीठिया नहीं रहे

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  • स्क्वाड्रन लीडर दलीप सिंह मजीठिया ने 103 साल की उम्र में दुनिया को अलविदा कहा
  • वर्ष 1949 में उनके नाम काठमांडू में पहली बार फाइटर प्लेन उतारने का रिकॉर्ड भी है दर्ज

रुद्रपुर लोकपथ संदेश ब्यूरो
रॉयल इंडियन एयरफोर्स में रहते हुए दूसरे विश्व युद्ध में हिस्सा लेने वाले भारत के सबसे बुजुर्ग फाइटर पायलट स्क्वाड्रन लीडर दलीप सिंह मजीठिया ने 103 साल की उम्र में दुनिया को अलविदा कहा। उत्तराखंड के रुद्रपुर में उन्होंने बीते सोमवार देर रात आखिरी सांस ली।
27 जुलाई 1920 को जन्मे दलीप सिंह मजीठिया अपने चाचा सुरजीत सिंह से प्रेरित होकर 1940 में रॉयल इंडियन एयरफोर्स में भर्ती हुए थे। 1947 तक वह रॉयल इंडियन एयरफोर्स में रहे। उनकी बेटी किरन संधू रुद्रपुर के प्रीत विहार में रहती हैं। दिलीप सिंह ने पांच अगस्त 1940 को दो ब्रिटिश प्रशिक्षकों के साथ लाहौर के वाल्टन एयरफील्ड से टाइगर मोथ एयरक्राफ्ट में अपनी पहली ट्रेनिंग की उड़ान भरी थी। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान वह बर्मा (म्यांमार) में तैनात थे। वर्ष 1949 में उनके नाम काठमांडू में पहली बार फाइटर प्लेन उतारने का रिकॉर्ड भी दर्ज है। उनके 100 साल पूरे करने का जश्न इंडियन एयरफोर्स ने भी मनाया था। नैनीताल आकर इंडियन एयरफोर्स के अफसरों ने उन्हें जन्मदिन की बधाई दी थी। नैनीताल में उनकी कोठी है जबकि उनके परिवार के सदस्य गोरखपुर में भी रहते हैं। मजीठिया परिवार का गोरखपुर में बड़ा नाम है। वहां उनकी सबसे पुरानी चीनी मिल है और कई शिक्षण संस्थान भी संचालित होते हैं।

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